'वर्ल्ड स्ट्रोक डे' पर 'डॉक्टर झा फिजियोवर्ल्ड' में पत्रकारों की जांच और मार्गदर्शन शिविर का आयोजन

'वर्ल्ड स्ट्रोक डे' पर 'डॉक्टर झा फिजियोवर्ल्ड' में पत्रकारों की जांच और मार्गदर्शन शिविर का आयोजन



मुंबई / संध्या श्रीवास्तवा 


हाल ही में वर्ल्ड स्ट्रोक डे के अवसर पर पर चेंबूर  के 'डॉक्टर झा फिजियोवर्ल्ड'  में  फिल्ड पर रहने वाले पत्रकारों  की जांच और मार्गदर्शन शिविर का आयोजन किया गया।  'डॉक्टर झा फिजियोवर्ल्ड'  और 'उपनगर पत्रकार एसोसिएशन' के तत्वाधान में आयोजित इस शिविर में  प्रसिद्ध  न्यूरो फीजियोथेरेपिस्ट डॉ नीरज झा ने खुद मौजूद रह कर सभी पत्रकारों की जांच की और इस भागदौड़ की जिंदगी में कैसे अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना है इसके प्रति मार्गदर्शन किया. 



पत्रकारों का मार्गदर्शन करते हुए चेंबूर  स्थित फिजियोवर्ल्ड के प्रमुख  और न्यूरो फिजियोथैरेपिस्ट कंसलटेंट  डॉ नीरज झा   ने बताया कि कि स्ट्रोक को पक्षाघात या सेरेब्रोवस्कुलर दुर्घटना या सीवीए के नाम से भी जाना जाता है.  इन दिनों देखा जा रहा है कि करोना से संक्रमित हो चुके लोगों में पक्षाघात हृदयाघात के खतरे ज्यादा हो रहे हैं कोलेस्ट्रोल या उच्च रक्त कोलेस्ट्रोल के मरीज को इस का खतरा ज्यादा रहता है वहीं 30 से 50 आयु वर्ग के उच्च रक्तचाप के मरीज भी खतरे से घिरे रहते हैं.



न्यूरो फिजियोथैरेपिस्ट डॉक्टर नीरज झा के अनुसार डायबिटीज के रोगियों में स्ट्रोक का  जोखिम दो से 3 गुना अधिक रहता है. ब्लड प्रेशर शुगर और हृदय रोग के शिकार लोगों को स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है.  डॉ झा कहते हैं कि दिमाग के किसी भी भाग में खून की धमनियों में बाधा होने से उस भाग को नुकसान पहुंच सकता है जब मस्तिष्क में रक्त प्रवाह कम हो जाता है या मस्तिष्क में अचानक रक्त स्त्राव होने लगता है तो इसे मस्तिष्क का दौरा कहते हैं. इस  स्ट्रोक में शरीर के एक हिस्से को लकवा मार जाता है जिसे पक्षाघात भी कहते हैं. पक्षाघात के कारण दीर्घकालीन विकलांगता हो सकती है या फिर हाथ पांव काम करना बंद कर सकते हैंडॉ झा के अनुसार स्ट्रोक से 25 से 59 आयु वर्ग में मृत्यु का पांचवा सबसे बड़ा कारण है रोगी को देखने , बात करने, बोलने में लड़खड़ाहट, बातों को समझने में परेशानी, यहां तक कि खाना निगलने में भी परेशानी होने लगती है. 


लकवे के इलाज के बारे में कम जानकारी के कारण लोग बहुत तरह से असामान्य और वैज्ञानिक तरीकों से इलाज करने लगते हैं जो मरीज के लिए ठीक बात नहीं है, क्योंकि स्ट्रोक के मामले में शुरुआती तीन-चार घंटे  बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं ऐसे में मरीज को तुरंत हॉस्पिटल में एडमिट कराना चाहिए वह भी न्यूरो फिजिशियन की देखरेख में। अगर मरीज को तुरंत अस्पताल पहुंचा दिया जाए और न्यूरो फिजियोथैरेपी द्वारा ट्रीटमेंट जल्द से जल्द शुरू की जाए तो  ऐसे में मरीज को न्यूरो फिजियोथेरेपी से बहुत  जल्द सुधार होता है

 

डॉ नीरज झा का मानना है कि न्यूरो फिजियोथैरेपी चिकित्सा पद्धति में पक्षाघात वाले अंगों को सही न्यूरोप्लास्टिसिटी ऑफ ब्रेन एक्सरसाइज आदि का सामयिक अभ्यास कराते हैं. डॉक्टर झा कहते हैं कि न्यूरो फिजियोथैरेपी के काफी एडवांसमेंट से मरीजों का काफी हद तक सुधार होता है और समय रहते उन्हें विकलांगता से काफी हद तक बचाया जा सकता है


यदि आप डॉ नीरज झा से संपर्क करना चाहते है तो इसके लिए चेंबूर के प्रसिद्ध  आइसो सर्टिफाइड न्यूरो फिजियोथैरेपी सेंटर ' डॉक्टर झा फिजियोवर्ल्ड',  303,  सेंट्रल बिल्डिंग, चेंबूर रेलवे स्टेशन के पास,  चेंबूर ईस्ट में विजिट कर सकते हैं या टेलीफोन नंबर  022 2522 3500, 93205 39142 पर संपर्क कर सकते हैं. 


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