नागपुर : एक ओर जहां स्वास्थ्य विभाग कोरोना ग्रस्तों के संपर्क में आने वाली जांच में जुटा हुआ है, वहीं दूसरी ओर शनिवार तड़के मेयो में भर्ती 4 संदिग्ध मरीज अचानक वार्ड ने निकल गये, दिनभर मरीजों की खोज की जाती रही. आखिर चारों मरीज मेयो से कैसे निकल गये, इसकी चर्चा दिनभर चलती रही. वहीं दूसरी ओर मेयो प्रशासन की व्यवस्था पर भी सवाल खड़े हो गये. हालांकि रात में चारों की रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद प्रशासन ने भी राहत की सांस ली.
मेयो में कोरोना बाधित और संदिग्ध मरीजों को एक ही वार्ड में रखा गया है. यही वजह रही कि मरीज खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे थे. इस वजह से बाहर निकल गये. संदिग्धों के अस्पताल से बाहर जाने की जानकारी से हड़कंप मच गया. दिनभर की गहमा-गहमी के बाद 3 अस्पताल में लौट आये. कोरोना ग्रस्त सहित संदिग्ध मरीजों के लिए मेयो में 20 बिस्तरों का एक वार्ड तैयार किया गया है. वार्ड में 45 वर्षीय पाजिटिव मरीज भर्ती है. शुक्रवार को 7 संदिग्धों को भर्ती किया गया. इनमें सुबह 2 और बाद में 5 मरीजों को भर्ती किया गया. संदिग्ध 5 के नमूने शाम को लेने की वजह से रिपोर्ट शनिवार को आने वाली थी. इनका कहना था कि 2 मरीजों को छुट्टी दे दी गई. इसे लेकर डाक्टरों से विवाद भी हुआ.
शनिवार के तड़के 4 संदिग्ध मरीज किसी को भी जानकारी न देते हुए वार्ड से बाहर निकल गये. इनमें एक महिला नीदरलैंड से लौटी है, वहीं 4 वर्षीय बालक भी साथ में था. बच्चे को सर्दी-खांसी होने के कारण महिला मेयो में लेकर आई थी, जबकि दूसरा संदिग्ध थाईलैंड से लौटा था, जबकि अन्य 2 संदिग्ध इंजीनियरिंग कालेज के छात्र थे. अचानक चारों मरीज के बाहर निकलने के बाद हड़कंप मच गया. इसकी जानकारी वरिष्ठ डाक्टरों को दी गई. साथ ही पुलिस में भी शिकायत की गई.
घटना के बाद जिलाधिकारी रवींद्र ठाकरे ने संदिग्ध और पाजिटिव को एक साथ नहीं रखने के निर्देश दिये हैं. साथ ही पुलिस की भी मदद लेने को कहा गया है. हालांकि दिन में 3 संदिग्ध तो मेयो में लौट आये, लेकिन एक नहीं आया. शनिवार की रात में चारों की रिपोर्ट आई. इसमें सभी निगेटिव पाये गये. ठाकरे ने बताया कि संदिग्ध मरीजों को उनके ही घर में निगरानी में रखा जाये. नियंत्रण कक्ष से संपर्क करने पर एक टीम उनके घर जाएगी और नमूने लेकर आएगी. सर्दी, जुकाम, खांसी के लक्षण होने पर लोगों को खुद को अपने घर में 14 दिन तक अन्य से दूर रहने की सलाह दी है.