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‘जादूटोना विरोधी कानून’ से संबंधित शासकीय समिति से श्याम मानव, मुक्ता दाभोलकर और अविनाश पाटील को तत्काल हटाया जाए!




वारकरी संत और धर्माचार्य द्वारा मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री से ज्ञापन के माध्यम से मांग!

‘जादूटोना विरोधी कानून’ से संबंधित शासकीय समिति से श्याम मानव, मुक्ता दाभोलकर और अविनाश पाटील को तत्काल हटाया जाए!

      कोल्हापुर - न्यायालय द्वारा झूठ बोलने के मामले में दोषी ठहराए गए श्याम मानव और आर्थिक घोटाले के आरोपों का सामना कर रहे मुक्ता दाभोलकर और अविनाश पाटील को ‘जादूटोना विरोधी कानून’ से संबंधित शासकीय समिति से तुरंत हटाया जाए, साथ ही इस समिति को त्वरित भंग किया जाए, इस मांग का ज्ञापन कोल्हापुर स्थित श्रीक्षेत्र सिद्धगिरी महासंस्थान, कणेरी मठ में आयोजित ‘संत समावेश’ समारोह के दौरान वारकरी संत और धर्माचार्य की ओर से मुख्यमंत्री माननीय एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री माननीय देवेंद्र फडणवीस को सौंपा गया। इस पर मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने वारकरियों को सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और इस मामले को व्यक्तिगत रूप से देखने का आश्वासन दिया।

        इस अवसर पर महाराष्ट्र वारकरी महामंडल के अध्यक्ष ह.भ.प. प्रकाश महाराज जवंजाळ, राष्ट्रीय वारकरी परिषद के कार्याध्यक्ष ह.भ.प. बापू महाराज रावकर, महाराष्ट्र वारकरी महामंडल के कोकण प्रांताध्यक्ष ह.भ.प. भगवान महाराज कोकरे, भक्तीशक्ति संघ के अध्यक्ष ह.भ.प. संदीप महाराज लोहार, अखिल भारतीय संत समिति के प्रदेशाध्यक्ष संत श्री गोपालचैतन्यजी महाराज, स्वामी भारतानंद सरस्वती महाराज, श्री संतोषानंद शास्त्री, ह.भ.प. लक्ष्मण महाराज पाटील, ह.भ.प. बालासाहेब शेळके और रायगडपुत्र ह.भ.प. आकाश महाराज बोंडवे उपस्थित थे।  

        इस ज्ञापन में कहा गया है कि हिंदू समाज के कई संतों ने अंधविश्वास के खिलाफ जनजागृति की है, और आज भी यह जागरूकता हो रही है। इसलिए ‘अंधश्रद्धा निर्मूलन’ का कोई विरोध नहीं है; लेकिन उपरोक्त लोग जानबूझकर हिंदू धर्म की आस्थाओं को खत्म करने का काम कर रहे हैं और संतों पर आपत्तिजनक टिप्पणियां कर रहे हैं। सरकार अंधविश्वास के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए इस समिति को करोड़ों रुपए देती है; लेकिन ये लोग सरकारी पैसों का उपयोग समाज में आस्था को खत्म करने और नास्तिकता को फैलाने के लिए कर रहे हैं, अर्थात् यह लोग अपने ‘अर्बन नक्सलवाद’ के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं, जो अत्यंत निंदनीय है।  

         इस समिति के सह-अध्यक्ष श्याम मानव ने वर्ष 2014 से जादूटोना कानून की जागरूकता के नाम पर महाराष्ट्र में हिंदू धर्म, देवताओं, संतों और परंपराओं पर आपत्तिजनक टिप्पणियां करके हिंदुओं और वारकरी संप्रदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत किया है। आळंदी में हुए वारकरी महाअधिवेशन में इस समिति को भंग करने का प्रस्ताव भी पारित हुआ था। श्याम मानव ने 1 दिन की सजा भी काटी है, इसलिए उन्हें शासकीय समिति में शामिल करना अवैध है। सरकार को तुरंत मानव को समिति से हटाना चाहिए।  

         इसके अलावा, मुक्ता दाभोलकर और अविनाश पाटील की संस्था पर भी घोटाले के आरोप हैं, और इस मामले का रिपोर्ट सातारा धर्मादाय आयुक्त कार्यालय द्वारा प्रस्तुत किया गया है। ऐसी दोषी व्यक्तियों और संगठनों को शासकीय समिति में स्थान देना सर्वथा अनुचित है।  



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