मुंबई, महाराष्ट्र में मराठा और गुजरात में पाटीदारों के बाद अब अन्य समुदाय के लोगों ने भी आरक्षण की मांग शुरू कर दी है। गुजरात में अतिरिक्त आरक्षण कोटे के लिए राजपूत और ब्राह्मण समुदाय के लोगों ने ओबीसी आयोग को पत्र भी लिखा है। वहीं, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने महाराष्ट्र में मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा उठाया है। मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शुक्रवार को विधानसभा को बताया कि जिन लोगों को लगता है कि मुसलमानों में ऐसी जातियां हैं जिन्हें आरक्षण मिलना चाहिए तो वे राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (एसबीसीसी) से संपर्क कर उससे सर्वेक्षण के लिए अनुरोध कर सकते हैं। फडणवीस ने विधानसभा में कहा कि आरक्षण जाति के आधार पर दिया जाता है और मुसलमानों तथा ईसाइयों में कोई जाति व्यवस्था नहीं है। उन्होंने कहा, ‘मुसलमानों में कुछ पिछड़ी जातियां हैं क्योंकि उन्होंने हिंदू धर्म से धर्मांतरण के समय अपनी जाति बरकरार रखी थीं। अभी मुसलमानों में 52 पिछड़ी जातियों को आरक्षण दिया गया है।’ सीएम ने कहा, ‘जिन लोगों को लगता है कि मुसलमानों में ऐसी और जातियां है जिन्हें आरक्षण की जरूरत है तो वे सर्वेक्षण कराने के लिए एसबीसीसी से संपर्क कर सकती हैं। एसबीसीसी की सिफारिशें सरकार के लिए बाध्यकारी होंगी।’
इससे पहले आईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने महाराष्ट्र में मुस्लिमों के लिए आरक्षण की मांग की थी। उनका कहना है कि मुस्लिम भी रिजर्वेशन के हकदार हैं क्योंकि पीढ़ियों तक वे गरीबी में रहे हैं। ओवैसी ने ट्विटर पर लिखा, 'रोजगार और शिक्षा में पिछड़े मुसलमानों को वंचित रखना अन्याय है। मैं लगातार कहता आया हूं कि मुस्लिम समुदाय में ऐसी पिछड़ी जातियां हैं जो पीढ़ियों से गरीबी में है। आरक्षण के जरिए इन्हें बाहर निकाला जा सकता है।’
ओवैसी ने एक विडियो ट्वीट कर बताया है कि महाराष्ट्र के मुसलमानों को आरक्षण की जरूरत क्यों है? इस विडियो में कहा गया है कि महाराष्ट्र में मुसलमान कुल आबादी का 11.5% हैं और इनमें से 60 फीसदी गरीबी की रेखा आते हैं। वहीं महाराष्ट्र सरकार में बीजेपी की सहयोगी शिवसेना भी एक तरह से मुस्लिम आरक्षण पर मुख्यमंत्री के बयान का समर्थन किया है। शिवसेना के विधायक सुनील प्रभु ने कहा, ‘जो पिछड़े हुए लोग हैं, चाहे वे मुस्लिम ही क्यों ना हों, उन्हें आरक्षण देना चाहिए। उनको काम मिलना चाहिए, न्याय मिलना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि शिवसेना हमेशा अन्याय के खिलाफ लड़ने वाली है।
फडणवीस ने कहा कि आरक्षण आंदोलन के सिलसिले में प्रदेश भर में मराठा युवकों के खिलाफ 543 मामले दर्ज हैं, जिनमें से 66 वापस ले लिए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘इनमें से 46 मामले गंभीर थे और इन्हें वापस नहीं लिया जा सकता। वहीं, 65 मामले वापस लेने के संबंध में अंतिम फैसला किया जा चुका है। जबकि 314 मामलों की वापसी की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।’ आपको बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा में गुरुवार को मराठों को शिक्षा और नौकरी में 16 फीसदी आरक्षण देने का प्रस्ताव पास हो गया।