नई दिल्लीः 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों के बाद सरकार ने वस्तु सेवा कर (जीएसटी) पर जनता की फिकर कुछ कम की है। हालांकि आम आदमी को यह राहत उम्मीदों से काफी कम रही। टीवी स्क्रीन, सिनेमा टिकट और पावर बैंक सहित 23 वस्तुओं और सेवाओं पर गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (GST) की दरों में कमी का ऐलान किया गया। सरकार ने इसमें खर्च और आमदनी का संतुलन बनाए रखा। माना जा रहा है कि सरकार को इसका फायदा लोकसभा चुनावों से पहले किसानों की कर्जमाफी जैसी कई लोकलुभावन घोषणाएं करने में हो सकता है, क्योंकि तब उसे काफी पैसे की जरूरत होगी।
जीएसटी परिषद की बैठक के बाद ऐसी ही चीजों और सेवाओं पर जीएसटी घटाया गया, जिससे ज्यादा बोझ न पड़े। जनवरी की पहली तारीख से लागू होने वाली इस कर कटौती से सरकार को सालाना 5,500 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। सरकार ने अपना खर्च बचाने के लिए ही रियल एस्टेट को कोई राहत नहीं दी। ऑटोमोबाइल सेक्टर को भी निराशा हाथ लगी। सीमेंट भी 28 प्रतिशत टैक्स के दायरे से नीचे नहीं आया। अकेले सीमेंट में जीएसटी घटाने से 13,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ता। रियल एस्टेट में निर्माणाधीन घरों पर लगने वाले जीएसटी को 18 से 12 प्रतिशत करने में ही 15 हजार करोड़ रुपये का भार पड़ता। इसे परिषद की बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी माना है। रियल इस्टेट और अन्य मामलों में जनवरी में होने वाली बैठक में फैसला लिया जा सकता है। उम्मीद है, तब मकान सस्ते होंगे।
28% टैक्स के दायरे में 2.25% चीजें ही
1250 वस्तुओं या सेवाओं में से सिर्फ 2.33% फीसदी चीजें ही 28% टैक्स रेट में बची हैं। वित्त मंत्री ने बताया कि इस टॉप टैक्स ब्रैकेट में अभी 34 चीजें हैं, जो 1 जनवरी से 28 रह जाएंगी। गौरतलब है, 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू होने के बाद 226 वस्तुएं इस टैक्स स्लैब में थीं। डेढ़ साल में इनमें से 198 चीजें बाहर की गई हैं। फिलहाल इस टैक्स रेट में लग्जरी या ‘सिन गुड्स’ हैं। इनमें सीमेंट, वाहन, ऑटोमोबाइल पार्ट्स, यॉट, एयरक्राफ्ट, एसी, डिशवॉशर, कोल्ड ड्रिंक, सिगरेट, तंबाकू, पान मसाला जैसी चीजें आती हैं।