मुंबई की लाइफलाइन कही जानेवाली लोकल ट्रेन लफंगों की होती जा रही है। रेलवे पुलिस से प्राप्त आंकड़ों की मानें तो लोकल ट्रेनों में महिला यात्रियों के साथ छेड़छाड़ की घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं। आंकड़े बताते हैं कि साल २०१६ की तुलना में साल २०१८ के ९ महीनों में महिलाओं के साथ लोकल ट्रेनों में छेड़छाड़ की घटना में ८७ प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
लोकल ट्रेनों में महिला यात्रियों के साथ हो रही छेड़छाड़ की घटनाओं पर रेलवे पुलिस का कहना है कि छेड़छाड़ के मामलों में पकड़े गए अधिकतर आरोपियों की पृष्ठभूमि तलाशी गई तो पता चला कि यह इनका पहला गुनाह था। साथ ही अधिकतर आरोपी नाबालिग पाए गए। मुंबई की लोकल ट्रेनों में वर्ष २०१६ जनवरी से सितंबर माह तक ६३ छेड़छाड़ के मामले दर्ज हुए थे तो वर्ष २०१८ में इस दौरान ११८ मामले छेड़छाड़ के दर्ज किए गए हैं। जानकारों की मानें तो महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की ये घटनाएं पहले भी घटती थीं लेकिन महिलाएं बदनामी के डर और पुलिस की कानूनी प्रक्रियाओं से बचने के लिए पुलिस के पास शिकायत नहीं करती थीं। हालांकि अब महिला यात्रियों में जागरूकता पैâल रही है और सफर के दौरान उनके साथ कोई अप्रिय घटना होती है तो वे पुलिस स्टेशन में शिकायत करने से नहीं झिझकती हैं। इसी तरह महाराष्ट्र में भी ट्रेनों के अंदर महिला यात्रियों के साथ छेड़छाड़ के मामले बढ़े हैं। साल २०१६ में जनवरी से लेकर सितंबर तक ८७ मामले दर्ज हुए थे जबकि इस साल सितंबर तक ये मामले बढ़कर १५१ हो गए हैं। मुंबई रेलवे पुलिस में इस साल अब तक १० मामले बलात्कार के भी दर्ज हो चुके हैं।
ज्यादातर मामलों में लोग भीड़ का फायदा उठाकर ऐसा कृत्य करते हैं। जीआरपी पुलिस कमिश्नर निकेत कौशिक का कहना है कि जब ऐसी कोई शिकायत आती है तो आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करना एक चैलेंज होता है क्योंकि इस तरह के आरोप आरोपी पर पहली बार लगे होते हैं। इस तरह के मामलों में कार्रवाई पेचीदा हो जाती है।