नागपुर : जिस तरह से कोरोना की दहशत शहर में बढ़ रही है उसे देखकर तो लग रहा है कि आने वाले दिनों में शहर की स्थिति बहुत भयानक हो सकती है. कोरोना के कारण वैसे भी मजदूर-कामगार वर्ग का काम छिन गया है. सारे कंस्ट्रक्शन साइट बंद हो गए हैं. कम्पनियों ने बंदी के आदेश दिए हैं और उद्योग भी ठप पड़ गए हैं. इन सभी में जितने लोग नौकरी करते हैं, उनसे कई गुना ज्यादा इन इकाइयों पर आश्रित रहते हैं. रोज कमाकर खाने का जुगाड़ करने वालों पर अब कोरोना से ज्यादा भयानक ‘भुखमरी वायरस’ का डर सताने लग गया है. यदि समय पर रोजी-रोटी का जुगाड़ नहीं हुआ तो जल्दी ही अपना और परिवार का पेट भरने के लिए इनके पास चोरी-चकारी या लूटमारी के अलावा कोई पर्याय नहीं बचेगा. इस सामाजिक विभिषिका से बचाव के लिए अब सरकार को ही ठोस कदम उठाने की जरूरत है.
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और जिला प्रशासन बार-बार उद्योगों और व्यवसायियों से आग्रह कर रहे हैं कि इमरजेंसी के इस दौर में किसी भी कर्मचारी या मजदूर का वेतन न काटा जाए. मात्र यह आदेश लागू करने में कोई सख्ती नहीं दिखाई दे रही है. आदेश लागू हो भी गया तो इसका लाभ सिर्फ उन लोगों तक पहुंचेगा जो मस्टर-रोल पर हैं. लेकिन उन मजदूरों और कामगारों की संख्या हजारों-लाखों में है जिन पर कोई सरकारी कवच नहीं लगता. उन लोगों के घरों में अब दूसरे वक्त का चूल्हा जलना मुश्किल हो गया है.
भले ही राज्य सरकार और नगर प्रशासन बार-बार कह रहा है कि शहर में कहीं भी जीवनावश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में कोई कमी नहीं आएगी, लेकिन सच तो यह है कि अभी से खाने की वस्तुओं की आपूर्ति खंडित हो गई है. किराना दूकानों में आपूर्ति बाधित हो गई है. इसकी प्रमुख वजह यह है कि दूकानों तक माल पहुंचाने वाले मजदूर वर्ग अपनी सेवाएं नहीं दे पा रहे हैं. उन्हें बाजार तक जाने में दिक्कत हो रही है. पुलिस रास्ते में रोककर बाहर निकलने का कारण पूछती है. ऐसे में उन्हें वापस अपने घर लौटना पड़ रहा है. दूकानों में काम करने वाले कर्मचारी भी दूकानों में नहीं जा पा रहे हैं. उनकी रोजी भी नहीं पक रही है. जब इनके पास पैसा ही नहीं होगा तो सामान खरीदेंगे कैसे और जब सामान दूकानों तक पहुंचेगा ही नहीं तो बिकेगा कैसे.
इस समस्या के चलते पुलिस पर काम का तनाव वाकई में बढ़ गया है. पूरी शहर पुलिस रास्तों पर है और अकारण रास्तों पर घूमने वालों की जांच में लगी है. पहले तो केवल अस्पतालों और एमएलए होस्टल तक बंदोबस्त सीमित था, लेकिन अब होम कोरोंटाइन किए गए लोगों के घरों में भी बंदोबस्त लगाया जा रहा है. पुलिस की व्यस्तता का फायदा उठाकर चोरी और लूटपाट की घटनाओं को अंजाम देने वाले भी सक्रिय हो जाएंगे. वारदातों को रोकने के लिए पुलिस को रात के समय भी सतर्क रहना होगा. नाइट पेट्रोलिंग भी बढ़ानी होगी. हर गतिविधि पर नजर रखना जरूरी है. यह सामाजिक समस्या बेहद गंभीर रूप ले सकती है. अधिकांश व्यापारी अपने संस्थान बंद कर रहे है. किराना व्यापारियों को छोड़कर सभी के शटर बंद हैं. ऐसे संस्थान चोरों के सॉफ्ट टार्गेट हो सकते हैं.