मुंबई : लॉकडाउन में फंसे गरीब, मजदूर और बेघरों के लिए बीएमसी की तरफ से खाना दिया जा रहा है. खाने की क्वालिटी को लेकर बीएमसी के पास लगातार शिकायतें आ रही थीं. बीएमसी ने खाने के मेनू में बदलाव किया तो शिकायतें भी घट गई हैं. खिचड़ी की जगह बीएमसी खाने में पुलाव, बिरयानी, पूड़ी सब्जी, छोला पाव, मिसल पाव दे रही है. बीएमसी रोजाना 6 लाख 14 हजार खाने के पैकेट का वितरण कर रही है. यह खाना ताज होटल, इस्कान और गुरुद्वारों सहित 27 स्थानों पर बनता है. ज्वाइंट कमिश्नर संगीता हसनाले ने बताया कि खाने में बदलाव करने से शिकायतें कम हो गई हैं लेकिन अब भी कुछ नगरसेवक जानबूझकर शिकायत कर रहे हैं. कई नगरसेवक कम्युनिटी किचन की मांग कर रहे हैं. ज्यादातर शिकायतें खाना समय पर नहीं पहुंचने के लिए थी वह भी दूर कर लिया गया है. खाने पर प्रतिदिन 2 करोड़ रुपये खर्चे हो रहे है.
हसनाले ने बताया कि पहले निजी संस्थाओं की तरफ से फंसे लोगों को खाना दिया जा रहा था लेकिन खाना देने से इनकार करने के बाद बीएमसी को ही खाने की सप्लाई करनी पड़ रही है. खाने में बदलाव करने के बाद भी शिकायतें करवाई जा रही हैं. अब चिकन, मटन और अंडे की मांग हो रही है. बीएमसी स्वाद के लिए खाना नहीं दे रही है, पेट भरने के लिए दे रही है. उन्होंने कहा कि नगरसेवकों की मांग पहले 500 पैकेट खाने की थी . जिस विभाग से खाने की जितनी मांग हो रही है उतना पैकेट खाना दिया जा रहा है. 500 से 5000 पैकेट तक सप्लाई हो रही है फिर भी जान बूझकर शिकायत की जा रही है जिससे कम्युनिटी किचन मिल सके. 24 वार्ड में 44 किचन चल रहे थे अब 27 किचन चल रहे हैं. खाने की पर्याप्त सुविधा उपलब्ध कराई गई है. क्वारंटाइन किए गए लोगों को वार्ड अधिकारी अपने स्तर पर खाना दे रहे हैं.