लू लगने से पशुओं पर भी होगा असर,
देखभाल करने कि पशु चिकित्सकों की अपील
पनवेल। अप्रैल का महीना शुरू होते ही गर्मी का पारा दिन-ब-दिन बढ़ने लगा है. खेत में जाने वाले जानवर भी लू से पीड़ित हो रहे हैं. सुबह से ही सूरज की तेज आग के कारण पशु-पक्षी भी गर्मी से परेशान हो गये हैं. इंसानों की तरह पालतू जानवर हीट स्ट्रोक से पीड़ित हो सकते हैं. इसलिए पशु पालकों से अपने पालतू जानवरों की देखभाल करने की अपील पशु चिकित्सा अधिकारियों ने की है।
पिछले कुछ दिनों से गर्मी का प्रकोप बढ़ गया है. अप्रैल का महीना शुरू होते ही बढ़ते तापमान के कारण घरेलू और आवारा जंगली जानवरों को परेशानी हो रही है. भोजन की तलाश में भटकता हुआ जानवर हमेशा पेड़ों की छाया का आश्रय लेता है. दोपहर के समय पेड़ों की घनी छाया के नीचे जानवर धीरे-धीरे चलते नजर आते हैं. पशु-पक्षी समेत सभी जीव-जंतु गर्मी से बेहाल हैं. इससे दूध देने वाले पशुओं की दूध की पैदावार और व्यवहार में भी बदलाव आया है. ऐसे में इस मौसम में दूध का उत्पादन कम न हो इसके लिए दुधारू पशुओं का खास ख्याल रखना जरूरी है. हालाँकि सर्दियों की तुलना में गर्मियों में दूध का उत्पादन कम होता है, लेकिन अगर उन्हें ठीक से खाना खिलाया जाए, रखा जाए और इलाज किया जाए, तो दूध उत्पादन में अधिक कमी नहीं आती है।
जानवरों में लू लगने के लक्षण
106 से 108 डिग्री फ़ारेनहाइट का बुखार, जानवर सुस्त हो जाता है और खाना-पीना बंद कर देता है. लू लगने के कारण पशु के मुंह में जीभ चिपक जाती है. उन्हें ठीक से सांस लेने में कठिनाई होती है. जानवर के मुंह के चारों ओर झाग होता है. लू लगने से जानवर की आंखें और नाक लाल हो जाती है. जानवर की नाक से अक्सर खून आने लगता है. दिल तेजी से धड़कता है।
जानवरों को लू लगने पर क्या करें?
पशुओं को पानी से भरे गड्ढे, डब्बे में रख ठंडे पानी का छिड़काव करें, जानवरों पर बर्फ या अल्कोहल मलें, जानवरों को प्याज और पुदीने से तैयार अर्क खिलाएं, जानवरों को ठंडे पानी में चीनी, भुना हुआ जौ और नमक का मिश्रण दें. अगर फिर भी आराम ना होने पर तत्काल डॉक्टरों से संपर्क करें।