नयी दिल्ली, एक महिला को उसके मोबाइल पर अश्लील संदेश भेजने के आरोप में दोषी पाए गए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के बर्खास्त डीआईजी को दिल्ली उच्च न्यायालय से कोई राहत नहीं मिली। अदालत ने कहा कि एक वरिष्ठ लोकसेवक को ‘‘सदाचार’’ के उच्च मानकों को बरकरार रखना चाहिए। अर्धसैनिक बल के उप महानिरीक्षक (डीआईजी) को विभागीय जांच में यह साबित होने के बाद जुलाई में सेवा से हटा दिया गया था कि उनके कृत्य से संगठन की छवि को नुकसान हुआ है और वह अपने कर्तव्य के प्रति पूर्ण समर्पण दिखाने में विफल रहे। न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने सराहनीय सेवा के लिये 2010 में राष्ट्रपति के पुलिस पदक से सम्मानित संदीप यादव की याचिका को खारिज कर दिया। यादव ने याचिका में उन्हें सेवा से हटाए जाने के फैसले को चुनौती दी थी। पीठ ने नवंबर में पारित अपने एक आदेश में कहा, ‘‘अदालत सिर्फ यह कह सकती है कि कोई लोकसेवक जितनी ऊंचे पद पर होता है उसे सदाचार के उतने ही व्यापक मानकों का पालन करना होता है।’’ अदालत ने कहा कि उसे नहीं लगता कि याचिकाकर्ता को सुनाई गई सजा उसके आचरण के हिसाब से गलत है।