●ग्लोबल चक्र न्यूज डेस्क
मुंबई:आपका साथ हो आपकी बात हो,दिन चमकता रहे चांदनी रात हो।कवियित्र राणा तबस्सुम ने अपनी आवाज में मधु और मिश्री मिलाकर कवि सम्मेलन में कविता क्या पढ़ दी जो माटुंगा वाला मैसूर हाल में बैठे कविता प्रेमिओं का दिल स्व.राज कपूर और नरगिस दत्त जैसा आवारा हो गया।
सम्राट इंफ़ार्मेशन के सर्बे सर्बा राजेन्द्र पांडेय के संयोजन और राष्ट्रीय कवि सम्मेलन के कुशल मंच संचालक सुरेश मिश्रा के संचालन में आयोजित कवि सम्मेलन की खासियत यह रही की एक छोटे से सभाग्रह में छोटे कद काठी के कवियों ने अपनी ओजस्वी और सारगर्भित कविताओं से कवि सम्मेलन को जो उंचाई दी उसे कागज़ पर नही उतारा जा सकता है।आरम्भ में डॉ काव्या मिश्रा ने शास्त्रीय संगीत की चासनी में डूबोकर सरस्वती वंदना प्रस्तुत कर श्रोताओं को एहसास करा दिया की मुझमें है बात कोई औरों से हटकर।उनके सरस्वती वंदना की प्रस्तुति से ही श्रोताओं ने अंत तक कविता पाठ का आनंद लेने के लिए अपने आप को तैयार कर लिया।कवि योगेश मिश्रा के नये और ताज़ा चुटकुले ने हंसी और ठहाकों की मानो बरसात ही कर डाला।मृदुला तिवारी,कितनी हसीन शाम है कुछ बात कीजिये।इस तरह प्यार से ना मुझे देखिये।और दिल तो पागल है यह तो मचल जाएगा।मोहब्बत से लेबरेज गीतनुमा कविता से मृदुला ने बड़े और बुजुर्ग श्रोताओं को उनकी जवानी के दिनों की याद ताज़ा करा दी।सुरेश मिश्रा ने बिना किसी भूमिका के कुसुम तिवारी के नाजुक से हाथों को लोहे की कठोर माईक थमा दी।जब चले वो छोड़कर घर अपना।देश की सीमा पर अपने दिश्मनों से दो-दो हाथ करने के लिए जब एक भारतीय जवान अपना घर परिवार छोड़कर निकलता है।तब उसके माता-पिता और पत्नी,बच्चों पर क्या गुजरती है,कुसुम ने श्रोताओं के दिलों दिमाग में उसकी एक तस्वीर खींच डाली।सुरेश मिश्रा ने रोहित झन्नाट का थोड़े शब्दों में श्रोताओं से उनका परिचय कराया।उन्होंने कविता के जरिये अपने नाम को सार्थक बना दिया।एक के बाद एक बुलेट ट्रेन की चाल से झन्नाटेदार चुटकुलों से मैसूर हाल को हंसी और ठहाकों से भर डाला।रोहित ने बुजुर्ग माता-पिता के सम्मान को समाज में उचित स्थान दिलाने के लिए एक कविता,बिना बुजुर्गों के आशीष के मुसीबत टल नही सकती।जवान श्रोताओं को इस कविता के माध्यम से समाज के बड़े बुजुर्गों का सम्मान करने की सीख दे डाली।
सुरेश मिश्रा ने कवि सम्मेलन के अंतिम ओवर के खेल के लिए बचा रखा बरगद के बूढ़े वृक्ष जैसा कवि निडर जौनपुरी को बहुत अदब से माईक पर आने का निवेदन किया।श्रोताओं के सोच के विपरीत साहित्य के बूढ़े शेर ने हाथ में माईक लेते ही देश की आन बान और शान तिरंगा ध्वज को आसमान में लहरा कर श्रोताओं के दिल में देश प्रेम की मशाल जला दी।जब तक सूरज चांद रहेगा धरती आसमान।नही झुका है नही झुकेगा अपना हिन्दुस्तान तिरंगा लहरेगा।और कविता प्रेमी देश भक्ति की चासनी में डूब गये।
एक लम्बे समय के बाद मुंबई के साहित्य प्रेमिओं को ऐसा कवि सम्मेलन देखने और सुनाने को मिला।जिसमें हंसी और ठहाकों के अलावा गरीबों और महिलाओं पर अत्याचार,प्रेम और श्रृंगार रस,देश भक्ति और सामाजिक सरोकार जैसे सभी रंग श्रोताओं को देखने सुनने और एहसास करने को मिला।यह कमाल था कवि सुरेश मिश्रा का जिन्होंने कम समय में मंच पर आसीन अधिक कवियों को बारी-बारी से उनकी बात कहने का अवसर दिया।सुरेश और तबस्सुम के साथ हुई नौंक झोंक का श्रोताओं ने खूब मजा लिया।
कुलमिलाकर इस बेहतरीन कवि सम्मेलन के आयोजन के लिए सम्राट इंफ़ार्मेशन के राजेन्द्र पांडेय की सभी ने दिल से सराहना किया।
फोटो:कपिलदेव खरवार