हाथीपैर से पीड़ित पनवेल में 35 मरीज
पनवेल। हाथी पैर को चिकित्सकीय रूप से लिम्फैटिक फाइलेरियासिस के रूप में पहचाना जाना जाता है. लेकिन हाथ और पैरों में सूजन और वृद्धि के लक्षण पाए जाने से आमतौर पर एलिफेंटियासिस शब्द का ही उपयोग किया जाता है.पनवेल मनपा की हद्द में हाथी रोग के मरीजों को दिव्यांग प्रमाण पत्र वितरित किया जाएगा. इनमें से 19 लोगों को दिव्यांगता प्रमाण पत्र अबतक आवंटित कर दिया गया है. अन्य प्रमाणपत्र भी दिये जायेंगे, ऐसी जानकारी पनवेल मनपा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आनंद गोसावी ने दिया है।
एलिफेंटियासिस एक उष्णकटिबंधीय रोग है जिसमें त्वचा मोटी और सख्त हो जाती है. यह परजीवी जंतुओं के कारण होता है जो मच्छर के काटने से फैलता हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि दुनिया भर में 120 मिलियन लोग एलिफेंटियासिस से पीड़ित हैं. पनवेल इलाके में स्वास्थ्य विभाग द्वारा किए गए सर्वेक्षण में एलिफेंटियासिस के 35 मामले पाए गए हैं।
दो लोगो ने विकलांगता प्रमाण पत्र लेने से किये इंकार
पनवेल मनपा स्वास्थ्य विभाग द्वारा किए गए सर्वेक्षण में शहर में हाथीपैर के 35 मरीज पाए गए हैं. इसमें से चार लोग पते से कहीं और चले गए हैं, जबकि चार लोगों की मौत हो चुकी है. शेष दो ने विकलांगता प्रमाण पत्र लेने से इंकार कर दिया है. इसलिए मात्र 25 लोगों को ही दिव्यांगता प्रमाण पत्र वितरित किए जाएंगे।
एलिफेंटियासिस कैसे होता है?
एलिफेंटियासिस क्यूलेक्स प्रजाति के मच्छरों से फैलता है. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, क्लूलेक्स मच्छर परजीवी 'बुचेरिया बैनक्रॉफ्टिया' फैलाते हैं जो एलिफेंटियासिस का कारण बनता है. एलिफेंटियासिस से पीड़ित रोगी के पैर में गंभीर सूजन होती है, जिससे पैर का आकार बदल जाता है और विकृत दिखाई देने लगता है. इसके बाद मरीजों को चलने में दिक्कत होने लगती है।