मुंबई | राज्य का एक महत्वपूर्ण कृषि उत्पाद गन्ना को हर साल गारंटी मूल्य(FRP) के लिए लड़ना पड़ता है। इथेनॉल उत्पादन पर लगाए गए अंकुश और चीनी निर्यात पर निर्बंध के कारण किसानों पर इसका असर पड़ रहा है। राज्य की 206 फैक्ट्रियों में से 114 फैक्ट्रियों ने किसानों के एफआरपी के 2,000 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया है। किसानों को हर सीजन में एफआरपी के लिए लड़ना पड़ता है। इसी पृष्ठभूमि गन्ने को 5,000 प्रति टन (एफआरपी) की दर पर दिलाने के लिए जय शिवराय किसान संगठन के अध्यक्ष शिवाजी माने ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है| गन्ने का मूल रिकवरी आधार 10.25 के स्थान पर एफआरपी 8.5 प्रतिशत निर्धारित किया जाए तथा चीनी दरें द्वि-स्तरीय की जाएं। माने ने कहा कि गन्ने को 5 हजार प्रति टन का दाम मिल सकता है सरकार को किसानों को कर मुक्त रखना चाहिए। जैसे कृषि उत्पादों की कीमतें सरकार तय करती है, वैसे ही किसानों के कर्ज की जिम्मेदारी भी सरकार को लेनी चाहिए| याचिका में प्रमुख मांग की गई है कि सरकार सभी टैक्स कम करे और गन्ने को 5,000 रुपये प्रति टन का रेट दे|माने ने कृषि उत्पादों की कीमतें बढ़ी हुई उत्पादन लागत को शामिल करके और बाजार में मुद्रास्फीति सूचकांक को ध्यान में रखकर तय करने की भी मांग की है माने ने कहा कि सीएसीपी की सिफारिशों के कारण, गन्ना दर (एफआरपी) तय करते समय मूल वसूली आधार 8.5 प्रतिशत को बढ़ाकर 10.25 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे किसानों को प्रति टन डेढ़ हजार रुपये का नुकसान हुआ है एफआरपी में बढ़ोतरी के बाद भी किसानों को कटाई परिवहन में कटौती के बाद ही बिल दिया जाता है।