नवी मुंबई मनपा के कचरा परिवहन कर्मचारी रेनकोट से वंचित
नवी मुंबई। मानसून शुरू होने से पहले रेनकोट बांटना जरूरी है, लेकिन जून का महीना बीतने के बावजूद शहर के महत्वपूर्ण अंग कचरा उठाने वाले कर्मचारियों को अबतक बारिश से बचने के लिए रेनकोट नहीं बांटे गए हैं. जिसके कारण कर्मचारियों को भारी बारिश में भी बिना रेनकोट के कचरा उठाने और परिवहन का कार्य करना पड़ रहा है. जिसके कारण कचरा परिवहन कर्मचारियों में काफी नाराजगी है. रेनकोट के संबंध में जानकारी ली जाएगी. साथ ही कचरा परिवहन करने वाले कर्मचारियों को जल्द ही रेनकोट दिया जाएगा, ऐसी जानकारी मनपा उपायुक्त डॉ. अजय गडदे ने दिया है।
स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत केंद्र सरकार ने 2016 से की है. इस स्वच्छ भारत अभियान में सभी स्वच्छता योद्धाओं के साथ-साथ उनके सहयोगियों के साथ-साथ कचरा ट्रांसपोर्टरों ने भी इस स्वच्छ भारत अभियान में बड़ी भूमिका निभाई. जिसके कारण नवी मुंबई मनपा को विभिन्न पुरस्कार प्राप्त हुए हैं. खास बात यह है कि देश के दस शहरों में अपने शहर का नाम ऊंचा हुआ है. जिसके कारण कचरा ट्रांसपोर्टरों को समय पर रेनकोट नहीं मिलना गलत होने का कहा जा रहा है. शहर में सैकड़ों कचरा परिवहन कर्मचारी हैं. इनमें से कुछ कर्मचारी घंटा गाड़ियों पर हैं जो घरों से कचरा इकट्ठा करते हैं. कुछ कर्मचारी आरसी इस भारी वाहनों पर काम कर रहे हैं. उन्हें उन स्थानों से कचरा उठाना है जहां कचरा के डिब्बे हैं. इसके बाद इस कचरे को तुर्भे स्थित क्षेपणभुमित तक ले जाना है. लेकिन कूड़ा उठाने के दौरान रेनकोट की जरूरत पड़ती है, वहीं घंटा गाड़ी द्वारा भी कूड़ा उठाने के दौरान यही स्थिति होने का कमर्चारियों का कहना है.
खरीदी प्रक्रिया में देरी
दरअसल हर साल जून महीने में बारिश शुरू हो जाती है. इस बात की जानकारी घन कचरा विभाग को भी है, इसलिए रेनकोट खरीदने की प्रक्रिया पहले ही शुरू करना जरूरी है. लेकिन प्रक्रिया जल्द शुरू नही होने से कर्मचारियों को बरसात में भीगकर काम करना पड़ रहा है।
मनपा का जीरो वेस्ट बिन अभियान फेल
मनपा द्वारा जीरो वेस्ट बिन अभियान चलाया जा रहा है, हालांकि यह अभियान अच्छा है, लेकिन आज भी स्लम इलाको सहित सेक्टरों में नागरिक उन जगहों पर कूड़ा फेंक रहे हैं, जहां पर कूड़ादान थे. जिसके कारण बरसात होने पर कचरे की बदतर हो जाती है. लेकिन फिर भी कचरा परिवहन कर्मचारियों को उस गंदगी में काम करना पड़ता है. इससे उनके स्वास्थ्य के लिए समस्या निर्माण हो गई है. स्लम इलाको के नागरिकों का कहना है कि कचरा उठाने वाली घंटा गाड़ी गलियों में जगह नही होने के कारण उन्हें रोड से जाना पड़ता है एंव गलियों में हमे पता नही चलता. जिसके कारण घर का कूड़ा कहां फेंके।