ह्रदय पीड़ित नवजात बच्चों को मिला जीवनदान,
देश में हर साल 2 लाख से अधिक बच्चें होते है जन्मजात हृदयरोग पीड़ित
नवी मुंबई। अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई की सुपर-स्पेशलिटी पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी टीम की निपुणताओं की बदौलत, मॉरिशस से आए हुए दो प्रीमैच्योर नवजात बच्चे अपने माता पिता की गोदी में हंसते-खेलते घर लौट गए हैं. यह दोनों नवजात बच्चे समय से पहले पैदा हुए हैं और उनमें जन्म से ही दुर्लभ और जानलेवा जटिल जन्मजात हृदय रोग पाया गया था. अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई में इन नवजात बच्चों पर पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ भूषण चव्हाण ने मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया सफलतापूर्वक की. किसी भी बच्चे के हृदय में जब जन्म से ही कोई ऐसी गड़बड़ी हो जिससे हृदय की रचना और कार्य पर असर पड़ रहा हो तो उसे जन्मजात हृदय रोग कहा जाता है. इससे नवजात बच्चों में गंभीर, जानलेवा जटिलताएं हो सकती हैं. लगभग 1% बच्चों में जन्मजात हृदय रोग होता है, दुनियाभर में यह सबसे आम जन्मजात दोष है. अकेले भारत में हर साल 2 लाख से ज़्यादा बच्चें जन्मजात हृदयरोग के साथ पैदा होते है. उनमें, हर पांच में से एक का दोष बहुत ही गंभीर होता है, जिसके लिए जन्म के बाद पहले साल में ही इलाज करना ज़रूरी होता है।
मॉरिशस से आए हुए इन दो नवजात बच्चों में से एक 34 हफ़्तों में ही पैदा हुआ था और तब उसका वज़न सिर्फ 1.5 किलो था. उसे पल्मनरी अट्रेसिया के साथ टेट्रालॉजी ऑफ़ फ़ॉलोट हुआ था. इस जटिल स्थिति में फेफड़ों तक जाने वाले रक्त के बहाव में गंभीर बाधाएं आती हैं, जिससे बच्चा नीला पड़ने लगता है. दूसरा बच्चा भी समय से पहले पैदा हुआ था और उसका वज़न सिर्फ 2 किलो था. उसमें हृदय संबंधी कई विसंगतियां थी, साथी साइटस इन्वेर्सस यानी हृदय छाती में दाहिनी ओर होने की वजह से तबियत और भी ज़्यादा ख़राब हो चुकी थी. दूसरे बच्चे का केस एक अनोखी चुनौती थी क्योंकि उसमें कई हृदय दोष होने के साथ-साथ हृदय दाहिनी ओर था. पहले से ही नाजुक प्रक्रिया को इन चुनौतियों ने और भी कठिन बना दिया. रियल-टाइम मार्गदर्शन के लिए उन्नत इमेजिंग तकनीक का उपयोग करते हुए, डॉ. चव्हाण ने हृदय तक पहुंचने के लिए रक्त वाहिकाओं के ज़रिए एक कैथेटर को नेविगेट किया और हृदय के भीतर दो स्टेंट लगाए।