मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुणे जिले में तीन नाबालिग लड़कों से अप्राकृतिक यौनाचार और उनपर यौन हमलों के आरोप में एक बोर्डिंग हाउस के मालिक को 10 साल जेल की सजा सुनाने का निचली अदालत का फैसला बरकरार रखा है। न्यायमूर्ति एएम बदर ने पिछले हफ्ते आरोपी बंशीधर घूमरे की ओर से दाखिल अपील खारिज कर दी। बंशीधर ने सत्र अदालत के जून 2015 के फैसले को चुनौती दी थी। पुणे जिले के खेड़ तालुका में बोर्डिंग हाउस संचालित करने वाले बंशीधर को वहां रहने वाले तीन नाबालिग लड़कों से अप्राकृतिक यौनाचार और उनपर यौन हमलों के आरोप में जनवरी'14 में गिरफ्तार किया गया था। इन लड़कों के माता-पिता ने वाद्य यंत्र की शिक्षा एवं धार्मिक अध्ययन के लिए उनका दाखिला बोर्डिंग हाउस में कराया था। अभियोजन पक्ष के मुताबिक, यह घटना अक्टूबर'13 से जनवरी'14 के बीच हुई।
27 जनवरी 2014 को पीड़ितों ने एक-दूसरे से घटना का जिक्र किया और फिर उनमें से एक ने अपने माता-पिता को बुलाया और यौन हमले की जानकारी दी। इसके बाद अन्य दो लड़कों के माता-पिता को भी सूचना दी गई। इसके आधार पर पुलिस ने मामले में प्राथमिकी दर्ज की। आरोपी ने अपनी अपील में उसे दोषी ठहराए जाने को चुनौती दी है। उसका दावा है कि उसे फंसाया गया है, क्योंकि वह काफी अनुशासन रखता था, जिसे बच्चे पसंद नहीं करते थे।
न्यायाधीश बदर ने अपने आदेश में कहा कि पीड़ितों को बोर्डिंग हाउस में उनके अभिभावकों ने इसलिए रखा था कि उनके बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ-साथ धार्मिक शिक्षा का लाभ भी मिल सके। कोर्ट ने कहा, 'इसलिए ऐसा हो सकता है कि ये बच्चे परंपरागत ख्यालों के परिवारों से थे और उनके लिए सेक्स एक अनोखी चीज हो। इससे उनके मन में शर्म और कुंठा का भाव पैदा हो गया हो।' इसलिए इसी आधार पर यह नहीं माना जा सकता कि बोर्डिंग हाउस में रहते-रहते वे पक गए हों और उन्होंने हाउस मालिक पर इतने ज्यादा गंभीर आरोप लगाए हों।
कोर्ट ने सजा बरकरार रखने के लिए यह भी कारण बताया कि तीनों पीड़ितों की मेडिकल रिपोर्ट से भी पता चला है कि तीनों के साथ वास्तविक यौनाचार हुआ है। कोर्ट के कहा कि आरोपी की स्थिति एक ट्रस्टी और अधिकारी जैसी है, इसलिए उसने ऐसी हरकत करके अपने पद का दुरुपयोग किया है।