शिवसेना ने पुलवामा अटैक और एयर स्ट्राइक पर हो रही राजनीति पर साधा निशाना

मुंबई : लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही शिवसेना ने सबको चौंकाते हुए पुलवामा अटैक और एयर स्ट्राइक पर हो रही राजनीति पर निशाना साधा है। शिवसेना ने कहा है कि वीर जवानों की शहादत पर वोट मांगना अपराध है। देशभक्ति किसी एकमात्र पार्टी की ‘बपौती’ नहीं है और गलत तरीके से लोगों को सिर्फ इसलिए ‘राष्ट्र-विरोधी’ कहना कि वे राजनीतिक विरोधी हैं, यह अभिव्यक्ति की आजादी के हनन के अलावा कुछ नहीं है। हमारी सेना की वीरता का अपमान करने के समान रूप से जिम्मेदार हैं। संपादकीय में लिखा है, ‘हमें हैरानी होती है कि नेता यह कब समझेंगे कि यह कार्रवाई (हवाई हमला) उनका (सैनिकों का) कर्तव्य था, न कि कोई कार्य जो उनसे करने को कहा गया हो।’
लेख के मुताबिक, 'राजनीतिक विरोधियों को राष्ट्र विरोधी बताकर उन्हें दोषी ठहराना अनुचित है। यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है। पुलवामा हमले के बाद भारतीय वायु सेना की एयर स्ट्राइक पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। ऐसे मामलों की संख्या भी बढ़ी है। कई नेताओं यह दावा करते हुए अपना बैनर उठा रहे हैं जैसे कार्रवाई उनके राजनीतिक दल ने की है, न कि भारतीय सशस्त्र बल ने।' शिवसेना ने दिल्ली बीजेपी प्रमुख मनोज तिवारी द्वारा हाल में एक रैली में सेना की वेशभूषा धारण करने का हवाला देते हुए कहा कि हवाई हमले का सबूत मांगने वाले लोग जितने गलत हैं उतना ही अनुचित वोट बटोरने के लिये सेना की वर्दी पहनकर उसकी वेशभूषा धारण करने वालों का आचरण भी है। यह सैनिकों और उनके शौर्य का अपमान है। केंद्र एवं महाराष्ट्र में बीजेपी की सहयोगी शिवसेना ने कहा, ‘सैनिकों की वर्दी पहनने का ओछा काम क्यों किया गया, जिस वर्दी को वे इतने कठिन श्रम, परिश्रम और कड़ी मेहनत से हासिल करते हैं? इससे विपक्ष के वे आरोप मजबूत ही होते हैं कि बीजेपी हवाई हमले का राजनीतिकरण कर रही है।
पुलवामा में आतंकवादी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए और यह कृत्य हवाई हमले से कहीं अधिक गंभीर है। इसी तरह सत्ता में बैठे लोगों को किनारे करने के लिये विपक्ष भी कश्मीर में हुए रक्तपात की तस्वीरें दिखा सकता है। सीधी बात यह है कि हमलोग अपने सैनिकों की शहादत को रोकने में असफल रहे हैं लेकिन कुछ लोग राजनीतिक कारणों से अपने चुनावी प्रचार के तहत उनकी वेशभूषा धारण करते हैं, उनके जैसी वर्दी पहनते हैं। यह ठीक नहीं है तभी तो चुनाव आयोग को भी इसमें दखल देना पड़ा और राजनीतिक दलों को यह हिदायत देनी पड़ी कि वे अपने चुनाव प्रचार में जवानों की तस्वीरों का इस्तेमाल नहीं करें। बता दें कि यह संपादकीय चुनाव आयोग द्वारा लोकसभा चुनाव 2019 की तारीखों की घोषणा के ठीक एक दिन बाद आया है। महाराष्ट्र में शिवसेना बीजेपी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रही है। यहां 11-29 अप्रैल के बीच चार चरणों में चुनाव होंगे। असंतोष होने के बाद भी शिवसेना ने बीजेपी के साथ चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। महाराष्ट्र में दोनों पार्टियों में सीट बंटवारा भी हो चुका है। शिवसेना यहां कि 23 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी, वहीं बीजेपी 25 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। 


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