पुणे दुर्घटना मामले को दबाने वाले पुलिस अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए- अतुल लोंढे
दोनों को कुचलने वाले वेदांत अग्रवाल को किसके आशीर्वाद से थाने में विशेष व्यवहार किया गया?
मुंबई। पुणे के कल्याणीनगर में एक बिल्डर के बेटे द्वारा रस ड्राइविंग कर दो लोगों को टक्कर मारने के मामले में पुणे पुलिस की बेहद लापरवाही देखी गई है. शराब के नशे में लापरवाही से गाड़ी चलाकर दो लोगों को कुचलने वाले एक लड़के को पुलिस ने हिरासत में लेकर थाने में बैठा दिया. मुकदमा दर्ज करते हुए मामूली धाराएं लगाई गईं और रात में तुरंत कोर्ट में पेश कर जमानत दी गई. इस मामले में पुलिस की भूमिका संदिग्ध है और दुर्घटना के मामले को दबाने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता अतुल लोंढे ने की है।
इस संबंध में प्रतिक्रिया देते हुए अतुल लोंढे ने कहा कि पुणे हादसे के आरोपी भवन निर्माता कारोबारी विशाल अग्रवाल के बेटे की तेज रफ्तार कार ने उन दोनों को कुचल दिया. कारोबारी का बेटे ने शराब के नशे में गाड़ी चला रहा था और उसकी पोर्शे कार पर भी कोई नंबर प्लेट नहीं थी. लापरवाही से गाड़ी चलाकर दोनों को कुचलने वाले कारोबारी के को पुलिस ने बचाने का प्रयास किया. यह भी पता चला है कि पुलिस स्टेशन में उनके लिए पिज्जा और बर्गर का ऑर्डर दिया गया था. जब इतना गंभीर मामला था तो पुलिस ने उसपर मामूली मामला लगाकर उसे तुरंत कोर्ट में पेश कर दिया, आखिर कारोबारी के बेटे को बचाने के लिए पुलिस ने इतनी तत्परता क्यों दिखाई? क्या पुलिस पर कोई राजनीतिक दबाव था? इसका जवाब लोगों को मिलना चाहिए. इस मामले को संभालने वाले सभी पुलिसवालों को निलंबित किया जाना चाहिए और कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए.' क्या अन्य नागरिकों को भी वैसी ही तत्परता और विशेष व्यवहार मिलता है? इतना गुस्से वाला सवाल पूछकर लोंढे ने कहा कि पुलिस को यह भावना भी नही रही कि कानून सबके लिए बराबर है।
पुणे दुर्घटना मामले में पुलिस कार्रवाई पर नागरिकों के आक्रोश के बाद मुख्यमंत्री और दोनों उपमुख्यमंत्रियों की नींद खुली और उन्होंने जांच के आदेश दिये, यह 'बैल गया औऱ सो गया' का मामला है. दलील दी गई है कि वेदांत अग्रवाल नाबालिग है लेकिन उसके कारनामे को देखते हुए उसकी उम्र देखने की जरूरत नहीं है, उसके द्वारा किया गया अपराध बेहद गंभीर है. जब दो युवकों की जान गई तो पुलिस को इसकी भनक कैसे नहीं लगी? पुणे पुलिस आयुक्त अब कह रहे हैं कि हादसे में मृतकों के परिजनों को धमकियां दी गई हैं, तो पुलिस क्या सो रही है? भ्रष्टयुती सरकार के दौर में राज्य में कानून व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो गयी है. अतुल लोंढे ने यह भी आरोप लगाया है कि पुणे शहर की प्रतिष्ठा एक सांस्कृतिक और शैक्षणिक शहर के रूप में है, लेकिन इस महायुती सरकार ने इसे धूमिल करने का काम किया है।