खारघर शहर में गड्डो में सड़कें, मरम्मत के लिए नया कार्यादेश जारी करने की मांग

खारघर शहर में गड्डो में सड़कें, मरम्मत के लिए नया कार्यादेश जारी करने की मांग


नवी मुंबई। पिछले 8-10 सालों से एक ही जगह पर उसी सड़क पर गड्ढे पड़ रहे हैं, वहीं अच्छी सड़क के काम के लिए वर्क ऑर्डर जारी किया गया हैं. इसे रद्द कर गड्ढा युक्त सड़कों के डामरीकरण एवं कंक्रीटिंग के संबंध में नया कार्यादेश जारी करने, एंव ठेकेदारों पर नजर रखने की मांग पूर्व नगरसेविका,शिवसेना महानगर संघटिका लीना गरड़ ने मनपा आयुक्त से किया है. उन्होंने यह भी कहा कि ये सब कार्य विधायक की कंपनी को कैसे मिलता है इसपर भी जांच होनी चाहिए।

21वीं सदी की एक विकसित शहर की अवधारणा के साथ खारघर कॉलोनी का सिडको ने विकास किया. इसमें एजुकेशन हब, गोल्फ कोर्स और सेंटर पार्क जैसी अंतरराष्ट्रीय परियोजनाएं हैं. इस कॉलोनी को एक अनोखा महत्व प्राप्त है. लेकिन पनवेल मनपा की स्थापना के बाद खारघर शहर असुविधाओं और समस्याओं का अड्डा बन गया है.  यहां की चौड़ी सड़को का वाकई बदत्तर स्थिति हो गई हैं. खारघर की सबसे बड़ी त्रासदी यह है कि नागरिको को गड्ढों में सड़कें ढूंढनी पड़ रही हैं. मनपा के कारण सिडको ने पहल की.  इसी वजह से खारघर को 'न घर का न घाट का' कहने का समय आ गया है. लेकिन इसके लिए शासक व प्रशासन जिम्मेदार है.  खारघर कॉलोनी की सड़कें हर साल गड्ढों में क्यों चली जाती हैं?  इसका जवाब पनवेल मनपा के पास नहीं है.  इस संबंध गरड ने खुद पिछले साल इन गड्ढों का 'सूक्ष्म सर्वेक्षण' किया था. इसमें कई बातें बताई गईं.  हर साल एक ही सड़क पर एक ही जगह पर 20 से 22 गड्ढे देखने को मिलते थे. लेकिन  दिलचस्प बात यह है कि इन गड्ढों को पहले सिडको और अब मनपा भरता है. इसके लिए हर बार ठेकेदार नियुक्त कर पैसा खर्च किया जाता है. यह पैसे की बहुत बड़ी बर्बादी है.  ये पैसा आम जनता का है, ऐसा लीना गरड ने कहा।


एक ही जगह पर हर साल बन रहे है खड्डे

लीना गरड ने बताया कि लोकसभा चुनाव से पहले खारघर में सैकड़ों करोड़ रुपये के सड़क कार्य निकाले गये.  सैकड़ों करोड़ रुपए के काम ठाकुर परिवार की टी.आई.पी.एल. कंपनी को दिया गया. लेकिन खारघर में 20 से 22 जगहों पर मानसून के दौरान लगातार बड़े-बड़े गड्ढे हो रहे हैं. इस पर हर साल बड़ी रकम खर्च की जा रही है.  लेकिन प्रशासन ने उन सड़कों के सुदृढ़ीकरण और डामरीकरण या कंक्रीटीकरण में कोई रुचि नहीं दिखाई है.  इसलिए 'गड्ढों और गड्ढों वाली सड़कों' की समस्या अगले साल भी बनी रहेगी. और एक बार फिर उन गड्ढों को भरने के लिए ठेकेदार नियुक्त किया जाएगा.  ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।



ठेकेदार के मकसद को ध्यान में रखकर काम कराने का आरोप 

डामरीकरण और कंक्रीटिंग का काम वहां किया गया है जहां सड़कें अच्छी थीं, गड्ढे नहीं थे. साथ ही 84 करोड़ की लागत से खारघर ब्रिज से उत्सव चौक तक सड़क, जिस पर पिछले पच्चीस वर्षों से कभी गड्ढे नहीं हुए, उनको कंक्रीट करने के लिए टेंडर जारी किया गया है. खास बात यह है कि ठाकुर परिवार के टी. आई.  पी. एल. इस कंपनी को नियुक्त किया गया था.  यानी हर साल जिन बाईस जगहों पर पिछले आठ साल से लगातार गड्ढे पड़ रहे हैं, उन सड़कों की मरम्मत न कर ठेकेदार के मकसद को ध्यान में रखकर काम कराया जा रहा है. इसी में  विधायक की कंपनी को ये काम कैसे मिलते हैं यह भी शोध का विषय है. दिलचस्प बात यह है कि चार-पांच महीने पहले ठाकुर की टी.आई.पी.एल. कंपनी द्वारा बनाई गई सड़क में भी गड्ढे हो गए हैं. इसी में कई सड़को पर जाएंगे तो आपको वहां की बदहाली नजर आएगी. कुल मिलाकर जब ठेकेदार शासक बन जाता है, तो नागरिकों का कोई अभिभावक नहीं रह जाता है.  ऐसा खारघर में देखने को मिला है, ऐसा लीना गरड ने कहा।


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