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परियोजना पीड़ितों एवं झोपड़ीधारकों के आज तक के घरो को मालिकाना हक देकर नियमित किया जाए

परियोजना पीड़ितों एवं झोपड़ीधारकों के आज तक के घरो को मालिकाना हक देकर नियमित किया जाए,

सरकार ही झोपडपट्टी का पुनर्विकास करें,

परियोजना पीड़ितों की इच्छानुसार उनके हित में योजना की घोषणा की जाय,

विधायक गणेश नाईक की मांग

 
नवी मुंबई। नवी मुंबई के परियोजना पीड़ितों और झोपड़ी धारकों के आजतक के सभी घरों को नियमित कर और उनके नीचे की जमीन का मालिकाना हक दिया जाए, ऐसी मांग लोकनेता विधायक गणेश नाईक ने की है. विधायक नाईक ने गुरुवार को नवी मुंबई के विभिन्न मुद्दों को लेकर मनपा आयुक्त कैलाश शिंदे के साथ बैठक की. इस दौरान पूर्व सांसद डॉक्टर संजीव नाईक, नवी मुंबई भाजपा जिला अध्यक्ष संदीप नाईक, पूर्व महापौर सागर नाईक, जयवंत सुतार, पूर्व सभागृह नेता रवींद्र इथापे, स्थायी समिति के पूर्व सभापती अनंत सुतार, पूर्व विरोधी नेता दशरथ भगत और अन्य जन प्रतिनिधि उपस्थित थे।

आवश्यकता अनुसार किये गए निर्माण और झोपडपट्टी पुनर्वसन के मुद्दे पर जब पत्रकारों ने प्रतिक्रिया मांगी तो विधायक नाईक ने अपनी भूमिका स्पष्ट की.  फिलहाल जो योजना थोपी जा रही है और सर्वे की मांग की जा रही है उस योजना में केवल 2000 तक के झोपड़ीधारकों को ही घर मिलेगा और 2011 तक के झोपड़ी धारकों को भुगतान करने पर ही मकान मिलेगा.  2011 के बाद झोपड़ी धारकों का क्या होगा?  यह एक प्रश्न चिन्ह है.लोकनेता विधायक नाईक ने कहा, रोटी, कपड़ा, मकान सभी की मूलभूत जरूरत है. अच्छी गुणवत्ता वाला जीवन जीने के लिए अच्छे आश्रय की आवश्यकता होती है. आज के मकान, चाहे वे परियोजना पीड़ितों की जरूरतों के लिए बनाए गए सभी प्रकार के निर्माण हों, झोपड़ी धारकों के मकान, साढ़े बारह प्रतिशत, एलआईजी, एमआईजी मकान, इन मकानों और उसके नीचे की जमीन का स्वामित्व उन घटकों देकर सबसे पहले इन मकानों को सर्वप्रथम नियमित किया जाना चाहिए. सरकार को परियोजना पीड़ितों के हित के लिए उनकी इच्छानुसार योजना की घोषणा करनी चाहिए.  झोपड़ी धारकों को अधिक से अधिक आकार के अच्छे मकान मिलने चाहिए. सरकार को निजी बिल्डरों के माध्यम से झोपड़पट्टी इलाकों का पुनर्वास करने के बजाय विशेषज्ञों की एक समिति नियुक्त करनी चाहिए एंव उसके अनुसार झोपड़ी वासियों की इच्छा के अनुसार झोपड़ी का पुनर्वास योजना लागू की जाए.  झोपड़पट्टी इलाको का सतत विकास कर गुणवत्तापूर्ण आवास उपलब्ध कराया जाए. इस मसले पर सरकार से फॉलोअप जारी है और मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री से इस मुद्दे पर चर्चा की गयी है. उन्होंने सकारात्मक कार्रवाई का आश्वासन देने की जानकारी विधायक नाईक ने दिया।


सभी को घर मिलना ही चाहिए

नवी मुंबई में झोपड़ी धारकों और इन लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले जन प्रतिनिधियों को आज तक के सभी झोपड़ी धारकों को ईस योजना में घर मिलना ही चाहिए. ऐसी नाईक ने कहा हैं. 2011 के बाद के झोपड़ी धारकों को बेघर करने वाले हैं?  ऐसा सवाल भी झोपड़ी धारकों ने किया है.  इसके साथ ही परियोजना पीड़ितों की आजीविका के लिए आवश्यकता अनुसार के मकानों और सभी प्रकार के निर्माणों को मालिकाना हक देकर नियमित करने की भी मांग की गई है।


कोड-

सरकार ने परियोजना पीड़ितों की जरूरतों को पूरा करने के लिए घरों के नियमितीकरण को अभी तक लागू नहीं किया है. लोकनेता विधायक गणेश नाईक समय-समय पर यह सवाल सरकार से उठाते रहे हैं.  अब तक के परियोजना पीड़ितों के मकानों और आजीविका के लिए किए गए निर्माणों को मालिकाना हक देकर नियमित किया जाए।

 - जयवंत सुतार पूर्व महापौर 


जैसे-जैसे परिवार का विस्तार हुआ, झोपड़ी धारकों ने अपने घरों का विस्तार किया. योजना का लाभ नीचे के एवं उसके उपर के घरों को मिलना चाहिए.   पतरे के झोपड़ी से कंक्रीट की झोपड़ी नही अच्छे आकार के गुणवत्ता पूर्ण मकान मिलने चाहिए.  निजी बिल्डरों के माध्यम से इस योजना का व्यावसायीकरण किया जाएगा. सरकार को पुनर्वास करना चाहिए. इस पर झोपड़ी धारकों का नियंत्रण होगा.  ये सभी बात स्पष्ट होने पर ही हम योजना का समर्थन करेंगे।' 

 -अमित मेढकर, पूर्व पार्षद 


चाहे वह परियोजना पीड़ितों के आवश्यकता अनुसार घर हों या झोपड़ीधारकों के घर, इन घरों और जमीन का स्वामित्व पहले इन घटकों को दिया जाए.कुछ घटकों को खुद का विकास करना है इसलिए एसआरए योजना इसलिए लागू की जा रही है. इस योजना में खुराड़ा जैसे घर मिलेंगे.   हम तभी स्वीकार करेंगे जब रहने लायक, बड़े आकार की और सर्वसुविधायुक्त योजना लाएंगे।

 - दशरथ भगत, पूर्व विरोधी पक्ष नेता  


कुछ तत्व इस योजना में अपना स्वार्थ देख रहे हैं. झोपड़ी धारकों को विश्वास में नही लिए. 2000 के सर्वेक्षण में 60 प्रतिशत लोग अपात्र हुवे है. उन्हें पहले पात्र करें. 2024 तक के लोगों को योजना में शामिल किया जाए.

 - अनवर शेख, पूर्व परिवहन समिति सभापती 


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