उच्च न्यायालय का आदेश केवल एक याचिकाकर्ता और सीमित निजी परिसर के संबंध में!
यदि विशालगढ़ में 'उस' स्थान के अलावा कहीं भी जानवरों की बलि दी जाती है, तो कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी प्रशासन की होती है ! - विशालगढ़ संरक्षण एवं अतिक्रमण विरोधी कृति समिति
प्रशासन को ध्यान देना चाहिए कि बकरीद के दिन कुर्बानी की अनुमति देने वाला मुंबई उच्च न्यायालय का आदेश केवल संबंधित याचिकाकर्ताओं के लिए है, वह भी केवल 15 से 21 जून 2024 की अवधि के लिए। यह आदेश केवल याचिकाकर्ताओं के निजी परिसर यानी 'ग्रुप नंबर 19' पर लागू है और वह भी सीमित परिसर पर। न्यायालय ने यह मंजूरी देते हुए सभी प्रशासनिक शर्ते पूरी करने के बाद ही पशु बलि की इजाजत दी है; लेकिन ऐसे समाचार प्रकाशित हुए हैं जैसे कि कुर्बानी का यह आदेश पूरे विशालगढ़ पर लागू किया गया है, यह पूर्णत: निराधार हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज के पदचिन्हों से पवित्र हुए विशालगढ़ की पवित्रता एवं स्वच्छता कायम रहनी चाहिए। गडकिलो की पवित्रता बनाए रखने के संबंध में, जिलाधिकारी और पुलिस प्रशासन को यह सुनिश्चित करने के लिए सावधानीपूर्वक ध्यान देना चाहिए कि याचिकाकर्ता के स्थान को छोड़कर विशालगढ़ में कहीं भी पशु बलि नहीं दी जाए। यदि इस स्थान के अलावा कहीं भी पशु की बलि दी जाती है तो यह न्यायालय द्वारा दी गई शर्तों का उल्लंघन होगा, यदि कोई कानून व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न होती है, तो इसके लिए पूरा प्रशासन जिम्मेदार होगा, ऐसी चेतावणी विशालगढ़ संरक्षण एवं अतिक्रमण विरोधी कृति समिति के प्रवक्ता श्री. सुनील घनवट द्वारा दि गयी है ।
पुरातत्व विभाग के संरक्षण में छत्रपति शिवराय के ऐतिहासिक स्थल पर अतिक्रमण पर कोई निर्णय नहीं; लेकिन कुर्बानी का फैसला तुरंत हो जाता है इस ओर भी श्री. घनवट ने ध्यान आकर्षित किया गया।
श्री. घनवट ने आगे कहा कि शुक्रवार 14 जून को यह आदेश पारित होने के बाद उन्हें प्रशासनिक अनुमति कैसे मिल गई, क्योंकि 15 और 16 जून 2024 को शनिवार और रविवार हैं ? या कि शनिवार-रविवार प्रशासन ने छुट्टियों के दिन कथित धर्मनिरपेक्षता के नाम पर सिर्फ अल्पसंख्यकों के खुश करने के लिए अतिरिक्त काम किया है क्या ? प्रशासन को यह स्पष्ट करना चाहिए । साथ ही यह आदेश अस्थायी है और अवधि समाप्त होने के बाद भी क्या पशुवध रूक सकेगा ? प्रशासन को इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है । इन सभी स्थानों की सीसीटीवी से वीडियोग्राफी कर सबुत के तौर पर रखा जाए। साथ ही, प्रशासन को यह लिखकर देना चाहिए कि इस मांस के बचे हुए अवशेषों का निपटान कैसे किया जाएगा ताकि किले का वातावरण स्वच्छ एवं पवित्र रहे और किसी भी तरह से कोई प्रदूषण न हो। अन्यथा इसकी शिकायत ग्रीन ट्रिब्यूनल से की जाएगी । यह सुनिश्चित करना प्रशासन की जिम्मेदारी है कि छत्रपति शिवाजी महाराज के पदचिन्ह से पवित्र हुई विशालगढ़ की पवित्रता किसी भी तरह से भंग न हो। अन्यथा सभी शिवप्रेमियों के कड़े विरोध का सामना प्रशासन को करना पड़ेगा । पशु हत्या की दौरान कोई गलत काम न हो इसलिए वह की देख रेख करने के लिए हिंदू संगठनों के प्रतिनिधिमंडल की व्यवस्था होनी चाहिए । इस संबंध में गढ़प्रेमी ने कोल्हापुर जिले के शाहुवाड़ी पुलिस स्टेशन में ज्ञापन दिया है ।