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हिंदू मंदिरों की ओर कोई बुरी नजर से नहीं देखेगा, ऐसा संगठन तैयार करेंगे! –नितेश राणे, मंत्री, मत्स्य व्यवसाय


सिंधुदुर्ग में ‘महाराष्ट्र मंदिर न्यास अधिवेशन’ में 600 मंदिर ट्रस्टी उपस्थित!

हिंदू मंदिरों की ओर कोई बुरी नजर से नहीं देखेगा, ऐसा संगठन तैयार करेंगे! –नितेश राणे, मंत्री, मत्स्य व्यवसाय


     भारत एक हिंदू राष्ट्र है । इस देश में 90% हिंदू समाज निवास करता है। राज्य और केंद्र सरकारें प्रखर हिंदुत्ववादी हैं। भविष्य में भी मंदिरों और हिंदू समाज को किसी भी प्रकार का भय न हो, ऐसा वातावरण बनाया जाएगा। हमारी भारतीय संस्कृति का इतिहास मंदिरों से जुड़ा हुआ है। जब इस्लामिक आक्रमणकारियों ने भारत पर आक्रमण किया, तो उन्होंने व्यक्तियों या संस्थानों को नहीं, बल्कि मंदिरों को निशाना बनाया। भारत को मजबूत बनाने वाले मंदिरों को सबसे पहले तोड़ा गया। लेकिन अब हिंदू राष्ट्र के निर्माण में मंदिरों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। हिंदू मंदिरों की ओर कोई बुरी नजर से नहीं देख सकेगा और न ही कोई इसके विरोध में सोचने का साहस करेगा, ऐसा मजबूत संगठन तैयार करेंगे, ऐसा प्रतिपादन महाराष्ट्र राज्य के मत्स्य व्यवसाय और बंदरगाह विकास मंत्री तथा सिंधुदुर्ग जिले के पालक मंत्री श्री नितेश राणे ने किया। वे सिंधुदुर्ग जिले के माणगांव (कुडाळ) स्थित श्री दत्त मंदिर सभागृह में आयोजित द्वितीय जिला स्तरीय ‘महाराष्ट्र मंदिर न्यास अधिवेशन’ में बोल रहे थे। इस कार्यक्रम का आयोजन श्री दत्त मंदिर माणगांव, महाराष्ट्र मंदिर महासंघ एवं हिंदू जनजागृति समिति द्वारा किया गया था।

     इस अधिवेशन का उद्घाटन श्रीदत्त मंदिर संस्थान के अध्यक्ष सुभाष भिसे, सचिव दीपक साधले, सनातन संस्था के धर्मप्रचारक संत सद्गुरु सत्यवान कदम, मंदिर महासंघ के राष्ट्रीय संगठक सुनील घनवट एवं मंदिर महासंघ की कोर टीम के सदस्य अनुप जायसवाल द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया। इस अवसर पर पालक मंत्री नितेश राणे, भाजपा के जिला अध्यक्ष प्रभाकर सावंत, जिला बैंक अध्यक्ष मनीष दळवी, पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष रणजीत देसाई, सनातन संस्था की धर्मप्रचारक सद्गुरु स्वाती खाडये, माणगांव ग्राम की सरपंच मनीषा भोसले एवं श्रीदत्त संस्थान अक्कलकोट स्वामी भक्त परिवार के अध्यक्ष डॉ. वी.एम. काळे भी उपस्थित थे।

     सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले द्वारा भेजे गए संदेश का वाचन किया गया। इस दौरान मंदिर महासंघ की ओर से पालक मंत्री  नितेश राणे को कुछ मांगों का ज्ञापन सौंपा गया, जिसे सरकार स्तर पर उचित कार्यवाही करने का आश्वासन दिया गया।

सभी मंदिरों को सरकार के नियंत्रण से मुक्त करने तक संघर्ष जारी रहेगा! – सुनील घनवट

     धर्मनिरपेक्ष (सेक्युलर) कहे जाने वाले सरकारें मंदिरों को कोई निधि नहीं देतीं, न ही कोई सहायता करती हैं, फिर उन्हें मंदिरों का नियंत्रण करने का अधिकार कैसे मिलता है? ये सेक्युलर नेता किसी भी मस्जिद या चर्च को सरकारी नियंत्रण में नहीं ला सकते, तो फिर हिंदू मंदिरों के साथ यह भेदभाव क्यों? सभी मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने तक यह संघर्ष जारी रहेगा। सिंधुदुर्ग जिले के कई मंदिरों की भूमि कुछ लोगों द्वारा हड़पने की कोशिश की जा रही है। जिला प्रशासन और पालक मंत्री श्री नितेश राणे को इस पर ध्यान देकर ठोस निर्णय लेना चाहिए ताकि मंदिरों की भूमि उन्हीं के अधिकार में रहे। ऐसी मांग मंदिर महासंघ के राष्ट्रीय संगठक सुनील घनवट द्वार की गयी ।

मंदिर सरकारीकरण से उत्पन्न समस्याएँ; मंदिरों को उपासना का केंद्र बनाना आवश्यक! – सद्गुरु सत्यवान कदम

      सनातन संस्था के सद्गुरु सत्यवान कदम ने कहा कि भारतीय संस्कृति की जड़ें मंदिरों से जुड़ी हुई हैं। मंदिर समाज के लिए चैतन्य (ऊर्जा) का स्रोत हैं। परंतु मंदिरों का सरकारीकरण और भ्रष्टाचार के कारण कई समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं, जिससे मंदिर संस्कृति पर गहरा आघात हो रहा है। मंदिर केवल पूजा का स्थान न होकर धर्मशिक्षा का केंद्र भी बनना चाहिए। मंदिरों में बच्चों के लिए बाल संस्कार वर्ग, किशोरों के लिए सुसंस्कार वर्ग, युवाओं के लिए आत्मरक्षा प्रशिक्षण वर्ग और वयस्कों के लिए सत्संग प्रारंभ किए जाने चाहिए। आज धर्मशिक्षा के अभाव में हमारी बेटियाँ ‘लव जिहाद’ का शिकार हो रही हैं, धर्मांतरण बढ रहा है।


       इस अवसर पर कार्यक्रम का प्रस्ताविक करते हुए हिंदू जनजागृति समिति के राजेंद्र पाटील ने कहा कि व्यक्तिगत जीवन के साथ-साथ सामाजिक जीवन में भी मंदिरों का विशेष महत्व है। मंदिरों के कारण ही हिंदुओं में धर्म का आधार मजबूत होता है। इस दौरान अन्य मान्यवरों ने भी अपने विचार व्यक्त किए। राज्यभर में कई तीर्थक्षेत्र, पौराणिक मंदिर, प्राचीन ऐतिहासिक मंदिर, ग्राम देवताओं, उपास्य देवताओं, ग्रह देवताओं और संतों की समाधि मंदिरें स्थित हैं। प्रत्येक मंदिर की समस्याएं अलग-अलग हैं, इसलिए इन सभी मंदिरों की समस्याओं के समाधान के लिए मंदिर महासंघ के माध्यम से कार्य करने का निर्णय इस अधिवेशन में लिया गया।



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